आउटकम बायस बनाम मोरल फिलॉसफी
हिंदी अनुवाद: आयुष मिश्रा, (Aayush Mishra)
मूल लेख: कैसी कॉज़ीरकोव (Cassie Kozyrkov)
संपादिका: प्रियंका वरगड़ीआ (Priyanka Vergadia)
हाल ही के एक लेख में, मैंने आउटकम बायस और डिसीजन एनालिसिस के मूल सिद्धांत के बारे में लिखा है:
एक निर्णय की गुणवत्ता का मूल्यांकन केवल उस जानकारी के आधार पर किया जाना चाहिए जो निर्णय लेने वाले के पास उस समय उपलब्ध थी, जिस समय उसने निर्णय लिया हो।
यदि आप इस विषय पर नए हैं, तो मैं अपने जेंटल इंट्रो को पढ़ने की सलाह देती हूं। यह लेख मेरे किताबी कीड़े वाले साथियों के लिए एक फुटनोट है।
- परिणामवाद: परिणामों पर विचार करें!
- डिओंटोलॉजी: अपना कर्तव्य निभाओ!
- इंसानियत: भले इंसान बनो!
आउटकम बायस को परिणाम से संबंधित मोरालिटी के खिलाफ घटिया प्रचार प्रसार न समझें।
अगर आप ऐसा सोचते भी हैं तो मैं आपको माफ कर सकती हूं, आपको इसके बारे में घटिया तरीके से समझाया गया है, जिसकी परिभाषा में “इरादे (इंटेंशन)” और “परिणाम (कॉन्सिक्वेंसेस)” जैसे शब्दों को इस्तेमाल किया है।
दरअसल, आउटकम बायस का साइकोलॉजिकल फिनोमिना, मॉडर्न मोरल फिलॉसफी के विषयों के साथ फिट नहीं बैठता है और इंसानियत के उसूलों या उपयोगितावाद जैसी चीजों के बारे में कोई बात नहीं करता है।
तो, ग़लतफहमी क्यों?
- यह सोचना गलत है कि मोरल फिलॉसफी का मूल सवाल, “क्या अंत (आउटकम्स) साधनों को सही ठहराते हैं ?” है।
- यह सोचना गलत है कि “निर्णय और परिणाम (डिसिजन और आउटकम)” और “इरादे और नतीजे (इंटेंशन और कॉन्सिक्वेंस)” आपस में पर्यायवाची हैं।
अगर आप इन दो ग़लतियों को एक साथ करते हैं, तो आप यह धारणा बना लेते हैं कि ठोस डिसिजन-मेकिंग की सलाह (“आउटकम बायस से बचें “) मोरालिटी के तहत पूछे जाने वाले सवालों को दबा सकती है।
“क्या अंत साधनों को सही ठहराते हैं?”
आह, भाषा कितनी भ्रामक हो सकती है! खास तौर पर पुराने जमाने की कहावतें। यहां पर “अंत” के कई मतलब हो सकते हैं, जिसमें “आउटकम्स” और “ऑब्जेक्टिव्स” भी शामिल हैं। अगर आपको “अंत” को “आउटकम” समझने की आदत है, तो आप इसमें एक अतिरिक्त शब्द और जोड़ सकते हैं …
मॉडर्न परिणामवाद (कॉन्सिक्वेंटिएलिस्म) परिणामों (आउटकम्स) के बारे में नहीं है
परिणामवादी (कॉन्सिक्वेंटिएलिस्म) फिलॉसफी किसी काम को उसकी मोरालिटी के आधार पर जज करती है, न कि उसके वास्तविक नतीजों के आधार पर। वहसंभावित/नजदीकी /इच्छित (आपको जो पसंद हो उसे चुने) नतीजे के आधार पर जज करती है, वह नतीजा जो आपके दिमाग में निर्णय लेते समय होता है, अतः “अपेक्षित (एक्सपैक्टेड)अंत साधनों को सही ठहराते हैं।”
आउटकम बायस का सिद्धांत परिणामवाद (कॉन्सिक्वेंटिएलिस्म) की आलोचना नहीं करता।
शब्दावली : फिलॉसफी के पास, “-वाद” लगे हुए शब्दों का पूरा चिड़िया-घर है, जिनके बिना फिलॉसफी अधूरी है, इन शब्दों में कई प्रजातियां परिणामवाद (consequentialism) (जिनमें से सबसे प्रसिद्ध शास्त्रीय उपयोगितावाद (classical utilitarianism) है) भी शामिल है। उनमें से जिसकी फिलोसोफर आमतौर पर हास्यास्पद के रूप में आलोचना करते हैं, वह है “वास्तविक परिणामवाद (actual consequentialism)”। डिसीजन साइंटिस्ट इस स्पेशल वैराईटी का मुद्दा उठाना चाहेंगे, लेकिन सौभाग्य से हमें ऐसा करने की जरूरत नहीं है: फिलोसोफर पहले ही हमारी तरफ से इसे बेतुका बता चुके हैं। अगर हम इस उप-प्रजाति को अपनी शब्दावली से हटा देते हैं, तो इसके बाद एक संपन्न सूची बचती है, जिसमें से आधुनिक परिणामवादी (modern consequentialist) चुन सकते हैं। इसी सूची कि मैं यहां पर बात करने जा रही हूं।
आधुनिक इरादेवाद (मॉडर्न इंटेंशनलिजम) भी परिणामों (आउटकम्स) के बारे में नहीं
इरादेवाद (इंटेंशनलिजम) का फिलोसॉफिकल नज़रिया ( उदाहरण के तौर पर इंसानियत या कर्तव्य जैसी चीजों में से कोई एक) एक निर्णय की मोरालिटी को उसकी कर्तव्य या इंसानियत जैसी धारणाओं के साथ संगति के आधार पर जांचता है, जैसे कि, “साधन, अपेक्षित अंत (एक्सपेक्टेड एंड)से ज्यादा महत्वपूर्ण है।”
आउटकम बायस का सिद्धांत इरादेवाद (इंटेंशनलिजम) की भी आलोचना नहीं करता।
रैड हेरिंग उदाहरण: क्या चोरी करना गलत है?
“अगर आप एक आदमी की घड़ी चोरी करने की कोशिश के करते वक्त उसे गलती से डूबने से बचा लेते हैं, तो क्या आपने एक अच्छा काम किया?”
मैं इस उदाहरण को कई लेखों में देख चुकी हूं, जो कहते हैं कि परिणामवाद ( consequentialist) की नजर से इसका जवाब “हां” है, बल्कि इरादेवाद (इंटेंशनलिजम) की नजर से जवाब “न” है। जहां तक मेरा मानना है, यह एक ग़लतफ़हमी है।
परिणामवादी ( consequentialist) इस तरह के सुखद हादसे को एक नैतिक कार्य नहीं मानते हैं। (यहां कोई भी उन पर नैतिकता की जांच करने के लिए एक साथ दो मुद्दों का एनालिसिस करने के लिए दबाव नहीं डाल रहा है। डूबने वाले व्यक्ति के बचाव को चोरी से पूरी तरह से अलग नैतिक मुद्दे के रूप में माना जा सकता है।) परिणामवाद ( consequentialist) की ज्यादातर नस्लों के लोग इस कार्य की निंदा करेंगे, अगर चोर की मंशा चोरी करके दुनिया का संतुलन बिगाड़ने की रही होगी।
लेकिन क्या होगा अगर चोर की मंशा एक भूख से मरते बच्चे को बचाने की हो, जिसका पेट भरने के लिए उसके पास घड़ी को चुराने के अलावा और कोई रास्ता न हो? इरादेवादी (इंटेंशनलिजम) लोगों का जवाब हो सकता है कि “चोरी करने का काम हमेशा नैतिक रूप से गलत होता है, भले ही परिणाम कुछ भी हो” जबकि परिणामवादी ( consequentialist) धारणा वाले लोग असहमत हो सकते हैं। हालात तब मुश्किल हो जाते हैं जब इस तरह के सवाल सामने आते हैं कि मंशा निर्धारित कौन करेगा: क्या होगा अगर चोर को बेहतर परिणाम के लिए कोई और रास्ता न मिले, लेकिन समाज अलग तरह से सोचने की मांग कर सकता है? क्या समाज इस आधार पर न्याय करता है जो उन्हें पता था या इस आधार पर कि जो चोर को पता था चोरी करते समय? क्या जानकारी रखना एक कर्तव्य है? एक दोस्त को पकड़ कर इस बारे में बहस करें! ओपन क्वेश्चन किसी कारण वश ही ओपन हुए हैं।
समय-काल (टेन्स) को समझें
अगर आप सभी आधुनिक -वादों और -शास्त्रों का सार निकालते हैं, तो समय-काल (टेन्स) की सही जानकारी रखना सुनिश्चित करें। वे सभी वर्तमान काल में मोरल इवैल्यूएशन करने के बारे में बात करते हैं — केवल उस जानकारी का उपयोग करके जो निर्णय लेते समय/कार्य करते समय पता है, ठीक उसी तरह जिस तरह डिसीजन साइंस को पसंद है।
- परिणामवाद: मेरे एक्शन का आउटकम क्या होगा?
- डिओंटोलॉजी: क्या मेरे एक्शन मेरे कर्तव्य के अनुसार हैं?
- इंसानियत: क्या मेरे एक्शन इंसानियत से प्रेरित हैं?
एक बार जब आप उचित काल में सोच रहे होते हैं, तो नैतिक निर्णय लेने का सही तरीका फिलॉसफी में एक ओपन क्वेश्चन है और इसे बंद करने के लिए मुझसे उम्मीद न करें। (हालांकि, आपके देश का कानून अक्सर आपको यह निर्णय लेने में मदद करेगा)
मोरल फिलॉसफी: “क्या अपेक्षित अंत साधनों को सही ठहराते हैं?”
डिसीजन साइंस क्या कहता है
डिसीजन साइंस आपके मोरल नज़रिए पर तब तक तकनीकी रूप से आपत्ति नहीं जता सकता, जब तक आप उनके क्रिस्टल बॉल का उपयोग न करने की निंदा नहीं करते।
विचारों का जो भी स्कूल(या उनका मिश्रण) आप चुनते हो, डिसीजन साइंटिस्ट हमेशा आपको स्थिति का आकलन उस समय ज्ञात जानकारी के आधार पर करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे| उदाहरण के तौर पर, अगर आपको डिओंटोलॉजी पसंद है, तो हम अपनी भौहें चढ़ा सकते हैं,अगर आप किसी व्यक्ति के वर्तमान कर्तव्यों के आधार पर अपना मूल्यांकन करते हैं, बजाय उस समय के कर्तव्यों के आधार पर जिस समय उसने कार्य को अंजाम दिया था।
डिसीजन साइंस: “क्रिस्टल बॉल काे न करने के लिए निर्णय लेने वालों की निंदा न करें।”
जब हम आपको आउटकम बायस से बचने के लिए कहते हैं, तो हम निर्णय लेने वालों की क्षमता को जज करने और प्रभावी निर्णय बनाने के बारे में बात करते हैं। हम नैतिकता के बारे में बहस नहीं कर रहे हैं, क्योंकि मैं एक अलग विषय है।